एक गाँव में एक परिवार रहता था परिवार में कुल जमा चार लोग थे युवा पति-पत्नि, उनका दस साल का बेटा और पति का बुजुर्ग बाप…
पति- पत्नि थोड़े खुदगर्ज किस्म के थे…
बजुर्ग पिता अक्सर बीमार रहता था, और बेटे- बहू को उसकी देखभाल व इलाज में समय व पैसा खर्च करना कतई पसंद नहीं था…
हाँ दस साल के उनके बेटे के लिये उसके दादा उसके सबसे अच्छे दोस्त थे…
एक दिन रात को बेटा-बहू योजना बनाते हैं कि यह बुढ्ढा तो कि…
सी काम का है नहीं, खर्चा अलग से करवाता है, इसलिये सुबह- सुबह बेटा अपने बूढ़े बाप को एक बोरे में ले जाकर पहाड़ की चोटी में एक गढ्ढे में दफन कर आयेगा…
पोता इस योजना को सुन लेता है…
सुबह होती है, बेटा अपने बूढ़े बाप को लेकर चल पड़ता है पहाड़ की चोटी की ओर…
चोटी पर पहुंच बोरे को एक तरफ रखता है, थोड़ा सुस्ताता है और फिर गढ्ढा खोदना शुरू करता है…
कुछ ही देर में वह अनुभव करता है कि खोदने के लिये वह कुदाल तो एक बार चलाता है पर आवाजें दो बार आतीं हैं…
वह हैरान-परेशान, फिर एक बार कुदाल चलाता है फिर वही होता है…
वह अपने चारों तरफ देखता है तो पाता है कि थोड़ा सा नीचे एक झाड़ी के पीछे उसका दस साल का बेटा भी एक गढ्ढा खोद रहा है…
आगबबूला हो वह अपने बेटे से उस गढ्ढे को खोदने का कारण पूछता है तो दस साल का वह बच्चा कहता है कि ” हे पिता, मैं तो आपका ही अनुकरण कर रहा हूँ…
एक न एक दिन तो आप भी बूढ़े होंगे ही…
मैंने सोचा तब के लिये गढ्ढा अभी से तैयार कर लूं”|