प्रेम
जागा हुआ प्रेम ही प्रार्थना
सोये रहने वाले के लिये
जिस प्रकार केवल
सुबह हो जाने से ही
कुछ नहीं होता!
उसी प्रकार
प्रेम हो जाने से ही
कुछ नहीं होता!
प्रेम हो-होकर भी
लोग चूक जाते हैं!
मन्दिर के द्वार तक
आ-आकर लोग
मुड़ जाते हैं,
चूक जाते हैं!
सीढियॉं चढ-चढकर
लौट जाते है!
प्रेम तो जीवन में
बहुत बार घटता है,
मगर बहुत थोड़े ही
धन्यभागी होते हैं,
जो जागते हैं!
जो जाग जाते हैं,
उनके प्रेम का नाम
प्रार्थना है!
जागे हुए प्रेम का
नाम प्रार्थना है!
जबकि सोई हुई
प्रार्थना का नाम प्रेम है!
!! आशो !!