1. जीवन को छोटे उद्देश्यों के लिए जीना जीवन का अपमान है। -स्वामी रामदेव
2. अपनी आन्तरिक क्षमताओं का पूरा उपयोग करें तो हम पुरुष से महापुरुष, युगपुरुष, मानव से महामानव बन सकते हैं। -स्वामी रामदेव
3. मैं परमात्मा का प्रतिनिधि हूँ। -स्वामी रामदेव
4. मैं माँ भारती का अम्रतपुत्र हूँ, “माता भूमि: पुत्रोहं प्रथिव्या:”। -स्वामी रामदेव
5. प्रत्येक जीव की आत्मा में मेरा परमात्मा विराजमान है। -स्वामी रामदेव
6. मैं पहले माँ भारती का पुत्र हूँ बाद में सन्यासी, ग्रहस्थी, नेता अभिनेता, कर्मचारी, अधिकारी या व्यापारी हूँ। -स्वामी रामदेव
7. “इदं राष्ट्राय इदन्न मम” मेरा यह जीवन राष्ट्र के लिए है। -स्वामी रामदेव
8. मैं सदा प्रभु में हूँ, मेरा प्रभु सदा मुझमें है। -स्वामी रामदेव
9. मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मैंने इस पवित्र भूमि व देश में जन्म लिया है। -स्वामी रामदेव
10. मैं अपने जीवन पुष्प से माँ भारती की आराधना करुँगा। -स्वामी रामदेव
11. मैं पुरुषार्थवादी, राष्ट्र्वादी, मानवतावादी व अध्यात्मवादी हूँ। -स्वामी रामदेव
12. कर्म ही मेरा धर्म है। कर्म ही मेरि पूजा है। -स्वामी रामदेव
13. मैं मात्र एक व्यक्ति नहीं, अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र व देश की सभ्यता व संस्कृति की भिव्यक्ति हूँ। -स्वामी रामदेव
14. निष्काम कर्म, कर्म का अभाव नहीं, कर्तृत्व के अहंकार का अभाव होता है। -स्वामी रामदेव
15. पराक्रमशीलता, राष्ट्रवादिता, पारदर्शिता, दूरदर्शिता, आध्यात्मिक, मानवता एवं विनयशीलता मेरी कार्यशैली के आदर्श हैं। -स्वामी रामदेव
16. जब मेरा अन्तर्जागरण हुआ तो मैंने स्वयं को संबोधि व्रक्ष की छाया में पूर्ण त्रप्त पाया। -स्वामी रामदेव
17. इन्सान का जन्म ही, दर्द एवं पीडा के साथ होता है। अत: जीवन भर जीवन में काँटे रहेंगे। उन काँटों के बीच तुम्हें गुलाब के फूलों की तरह, अपने जीवन-पुष्प को विकसित करना है। -स्वामी रामदेव
18. ध्यान-उपासना के द्वारा जब तुम ईश्वरीय शक्तियों के संवाहक बन जाते हो तब तुम्हें निमित्त बनाकर भागवत शक्ति कार्य कर रही होती है। -स्वामी रामदेव
19. बाह्य जगत में प्रसिध्दि की तीव्र लालसा का अर्थ है-तुम्हें आन्तरिक सम्रध्द व शान्ति उपलब्ध नहीं हो पाई है। -स्वामी रामदेव
20. ज्ञान का अर्थ मात्र जानना नहीं, वैसा हो जाना है। -स्वामी रामदेव
21. द्रढता हो, जिद्द नहीं। बहादुरी हो, जल्दबाजी नहीं। दया हो, कमजोरी नहीं। -स्वामी रामदेव
22. मेरे भीतर संकल्प की अग्नि निरंतर प्रज्ज्वलित है। मेरे जीवन का पथ सदा प्रकाशमान है। -स्वामी रामदेव
23. सदा चेहरे पर प्रसन्नता व मुस्कान रखो। दूसरों को प्रसन्नता दो, तुम्हें प्रसन्नता मिलेगी। -स्वामी रामदेव